जीवन में आपके समक्ष कौन कौन सी परिस्थिति उत्पन्न होगी, ये आपके अधिकार क्षेत्र से परे है, किन्तु उन परिस्थितियों को आप कौन से दृष्टिकोण से देखेंगे, ये तो आप ही निश्चित कर सकते हैं।

पढ़िए *देवालय का निर्माण* अयोध्या स्थित *आचार्य श्री मिथिलेशनन्दिनी शरण जी* की कलम से।

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निर्माण सदा एक चुनौतीभरा कार्य होता है, पुनर्निर्माण उससे भी अधिक। जगत् का निर्माण करने वाले ब्रह्मा भी इसके लिये तप करते हैं और प्रलय

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धर्मपाल जी का समग्र लेखन छपने के बाद उसमें से प्रत्येक अध्येता अपनी रुचियों के अनुसार गुज़रता है। मैं भी कुछ हिस्सों से गुज़रा। स्वभावतः

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