आश्रम यह देखता और मानता आया है, कि भारत एक उद्योग प्रधान देश रहा है और हमारे लोगों में गाँव में ही काजल से लेकर लोहा तक बना लेने का सामर्थ्य रहा है और इन सबको बनाने के लिए कोई बड़ा तामझाम करने की भी आवश्यकता कभी नहीं रही।
आँखों में लगाने वाला काजल न केवल आँखों के स्वास्थ्य को बलप्रदान करता है, अपितु साथ ही साथ में आँखों को और सुंदर भी बनाता है और कभी काजल बनाना भी एक काम हुआ करता था, जो गाँव के आर्थिक सामाजिक क्षेत्र में आपको सम्माननीय स्थान दिलाता था।
काजल बनाने की कई विधियाँ सिखाने और काजल से जुड़ी हुई कई बातों को बताने समझाने के लिए Master Ajeesh Puthoor कला आश्रम पधार रहे हैं।
Master Ajeesh Puthoor
यह कार्यशाला फरवरी 18-19 को आयोजित की जाने वाली है।
इसमें अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित करने हेतु नीचे दिए गए link पर दिए हुए form को भरिए और यदि कोई प्रश्न हो, तो आप उसे kalaashramm@gmail.com पर भेज सकते हैं।
इस कार्यशाला में 15 प्रतिभागी जुड़ सकेंगे।
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