जीवन में आपके समक्ष कौन कौन सी परिस्थिति उत्पन्न होगी, ये आपके अधिकार क्षेत्र से परे है, किन्तु उन परिस्थितियों को आप कौन से दृष्टिकोण से देखेंगे, ये तो आप ही निश्चित कर सकते हैं।
पढ़िए *देवालय का निर्माण* अयोध्या स्थित *आचार्य श्री मिथिलेशनन्दिनी शरण जी* की कलम से।