गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है।
गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत कुछ समय में हुआ है।
इसी विषय पर श्री अमनदीप वशिष्ठ जी का आलेख धर्मपाल – रवींद्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता – भाग – ५।