गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है।

गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत कुछ समय में हुआ है।

इसी विषय पर श्री अमनदीप वशिष्ठ जी का आलेख धर्मपाल – रवींद्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता – भाग – ५।

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गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है।

गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत कुछ समय में हुआ है।

इसी विषय पर *श्री अमनदीप वशिष्ठ जी* का आलेख *धर्मपाल – रवींद्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता – भाग – 4*।

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यह धरमपाल जी का शताब्दी वर्ष है। जगह जगह छोटे बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। अभी 19 तारीख को धर्मपाल जी के जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री

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धर्मपाल की भाषा आरोप मढ़ने वाली भाषा नहीं है। वे जब भी ब्रिटिश शासन का उल्लेख करते हैं तो न के बराबर व्यक्तिगत होते हैं।

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धर्मपाल के ब्रिटिशपूर्व भारतसंबंधी कार्य से गुज़रना एक विचित्र संसार में प्रवेश करने जैसा लगता है। इसका एक कारण तो यह कि पुराने भारत संबंधी

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