Tag: modernity

  • Modernity through Indian eyes
    – Part (2/2)

    We are living through the times of fast changes. In such transient times, it is really difficult to hold onto anything dearly, but should there be any yardstick of what to accept and what not? The yardstick can truly be the essence on which Bharatiyata stands. The present article is an English translation by *Shri…

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  • Modernity through Indian Eyes – Part I

    We are living through the times of fast changes. In such transient times, it is really difficult to hold onto anything dearly, but should there be any yardstick of what to accept and what not? The yardstick can truly be the essence on which Bharatiyata stands. The present article is an English translation by *Shri…

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  • धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ५

    धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ५

    गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…

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  • धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ४

    धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ४

    गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…

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  • धरमपाल जी की चिंता: सहजता और आत्म विश्वास कैसे लौटे

    यह धरमपाल जी का शताब्दी वर्ष है। जगह जगह छोटे बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। अभी 19 तारीख को धर्मपाल जी के जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री ने शांति निकेतन, बंगाल में दिये अपने एक भाषण में शिवाजी जयंती (जो उसी दिन पड़ती है) के साथ धर्मपाल जी के शोध का कुछ विस्तार से ज़िक्र भी किया।…

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  • The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग ३-४/४)

    The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग ३-४/४)

    धर्मपाल की भाषा आरोप मढ़ने वाली भाषा नहीं है। वे जब भी ब्रिटिश शासन का उल्लेख करते हैं तो न के बराबर व्यक्तिगत होते हैं। उनकी भाषा एक सावधानीपूर्ण प्रयोग से युक्त है। यही बात उन्हें दूसरी धाराओं से जुदा करती है। इसके मूल उनके गांधीवादी चिंतन में हैं। गांधीजी सम्भवतः सबसे ताकतवर ढंग से…

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  • The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग २/४)

    The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग २/४)

    धर्मपाल के ब्रिटिशपूर्व भारतसंबंधी कार्य से गुज़रना एक विचित्र संसार में प्रवेश करने जैसा लगता है। इसका एक कारण तो यह कि पुराने भारत संबंधी अधिकतर व्याख्याएँ सांख्यिकीय आंकड़ों से विहीन मात्र भावुक घोषणाओं पर खड़ी रहती हैं या फ़िर पुराने भारत को सामाजिक अंतर्विरोधों के आधार पर कोसने में उत्सुक। ये कोई छिपी हुई…

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  • धर्मपाल साहित्य परिचय

    पिछली दो ढाई शताब्दियों से भारत का साधारण मनुष्य बड़े ही असमंजस से गुजर रहा है। एक ओर उसके संस्कार व उसकी परवरिश है, जो उसे ईश्वर में, सत्य में, धर्म में आस्था रखना सिखाते हैं, काल की चक्रियता को सिखाते हैं, बुरे वक्त में एक दूसरे के काम आना सिखाते हैं, कर भला तो…

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  • The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग १/४)

    The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग १/४)

    भूमिका: भारतीय शिक्षा भारतीय समाज से विच्छिन्न परिघटना नहीं है। शिक्षा समाज के लिए और समाज के भीतर ही होती है। अतः भारतीय शिक्षा के स्वरूप को भारतीय समाज के स्वरूप से तोड़कर देखना जानना संभव नहीं है। भारतीय शिक्षा पद्धति के सिलसिले में आधुनिक चिंतन धाराओं द्वारा की जाने वाली आलोचना दरअसल उस वक़्त…

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  • Zombies of Obedience

    Zombies of Obedience

    Note: This article is divided in two pages and it is worth reading. Please read till the end. I wonder how many of us recall the Civil Disobedience movement of pre-Independent India. Under Mahatma Gandhi’s guidance, India showed the world a practical and ethical political resistance which shook the British colonizer like no other form…

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