लेखक – किशनसिंह चावडा पिताजी भक्त थे। निरांत संप्रदाय में उनकी गुरु परंपरा थी। अर्जुनवाणी के रचयिता अर्जुन भगत उनके गुरुभाई थे। पिताजी ने भी

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हिन्द स्वराज में महात्मा गांधी ने प्रश्न किया था, कि वकील मज़दूर से ज़्यादा रोज़ी क्यों मांगते हैं? उनकी ज़रूरतें मज़दूर से ज़्यादा क्यों हैं? उन्होंने मज़दूर से ज़्यादा देश का क्या भला किया है?
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न था, जिस पर हिन्द स्वराज लिखे जाने के 113 वर्षों बाद भी पर्याप्त मनन नहीं हो सका है। वहाँ पर महात्मा गांधी वकीलों के बहाने बुद्धिजीवी वर्ग की ओर संकेत कर रहे थे। इसमें आप वकील के साथ ही अफ़सर, डॉक्टर, लेखक, पत्रकार, प्राध्यापक, नीति-निर्माता, क़ानून-निर्माता, ठेकेदार और तमाम तरह के वित्तपोषक-हितग्राहियों को भी जोड़ सकते हैं। हर वो वर्ग, जो बुद्धिबल से रोज़ी कमाता है, वह श्रमबल से रोज़ी कमाने वाले की तुलना में अधिक धन कमाता है। गांधीजी का प्रश्न है, कि ऐसा क्यों?

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किशनसिंह चावडा बीसवीं शताब्दी के गुजरात के ख्यातनाम लेखक रहे हैं, जिन्होंने कई सारे वृतांत लिखे हैं। इनमें से अधिकांश प्रसिद्ध गुजराती कवि श्री उमाशंकर

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