Author: Anil Maikhuri

  • नशेड़ी लोकतंत्र

    मेरा भरोसा तो इस तथाकथित लोकतंत्र से लगभग उठ सा गया है। यह तो नशेड़ी लोकतंत्र है, जहाँ पहले शिक्षा के मार्फत सबको भांग पिलाओ, उसकी लत डलवाओ और फिर भांग का वादा करके सत्ता हाँसिल करो। यही है आधुनिक लोकतंत्र। कोई जिम्मेदारी नहीं, कोई कर्तव्य बोध नहीं, कोई संयम नहीं, बस consumption और sensory…

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  • हमारे प्रयास और ईश्वरीय हस्तक्षेप (भाग २)

    हमारे प्रयास और ईश्वरीय हस्तक्षेप (भाग २)

    (इस आलेख का प्रथम भाग पढने के लिए https://saarthaksamvaad.in/hamare-prayas-aur-ishwariya-part1/ पर क्लिक करें। कुछ दिनों पहले, मैं एक बहुत बढ़िया फिल्म देख रहा था। उसमें कलाकारों ने अद्भुत अभिनय किया था और निर्देशन भी उत्कृष्ट था। अभिनय वास्तव में एक अद्भुत कला है। जब किसी मँझे हुए कलाकार से अभिनय हो रहा होता है, तो उसके…

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  • हमारे प्रयास और ईश्वरीय हस्तक्षेप (भाग – 1)

    हमारे प्रयास और ईश्वरीय हस्तक्षेप (भाग – 1)

    पढिए श्रेष्ठ सर्जन हेतु कलाकार (अथवा साधक) के प्रयासों की दिशा के औचित्य को दर्शाता हुआ लेख – हमारे प्रयास और ईश्वरीय हस्तक्षेप श्री अनिल मैखुरी जी की कलम से।

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  • सोचना और करना

    एक है ‘सोचना’। दूसरा है ‘विषय’। हम जब भी सोचते हैं, तो उसका कोई संदर्भ होता है; उसे ही विषय कहा जा रहा है। यहाँ हम सोचने की प्रक्रिया और उसके पीछे की दृष्टि को देखने का प्रयास कर रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में जिस विषय या संदर्भ में सोचा जा रहा है, वह महत्त्वपूर्ण…

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  • सहज दृष्टा

    जिन्हें भी हम स्वयं को समझने के लिए या संसार को समझने के लिए आदर्श मानते हैं उनमें जे. कृष्णमूर्ति, रमण महर्षि, ओशो आदि या विपश्यना, उपनिषद, वेद आदि शामिल हैं, वे सभी किसी ना किसी रूप में दृष्टा की बात ही करते हैं। जे. कृष्णमूर्ति उसे बिना अपने किसी पूर्वाग्रह के और उससे महत्त्वपूर्ण…

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  • वाल्मीकि रामायण में संचार कौशल के अद्भूत प्रकरण

    वाल्मीकि रामायण में संचार कौशल के अद्भूत प्रकरण

    हम रामायण महाभारत आदि में कहानियाँ देख सकते हैं, भक्ति देख सकते हैं, जीवन मूल्य देख सकते हैं। ये महाकाव्य तो महासागर के समान हैं। इनमें से जो ढूंढना चाहो, जान सकते हो। अनिल मैखुरी जी वाल्मीकि रामायण में वर्णित दो प्रसंगों में से संचार कौशल से जुडी महीन बातें ढूंढकर हमें बताते हैं, कि…

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  • वैश्विक चुनौतियाँ एवं भारतीय मार्ग पर आधारित वैश्विक दृष्टि : भाग (३/३)

    गतांक से चालू। भाग २ यहाँ पढ़ें। ‘सनातन सत्य’ अर्थात ‘जो है’ उसे देखना और उसमें जीना। इसे अनुभव की एक विशेष अवस्था प्राप्त हो जाने के पर साक्षात देखा गया है। यहाँ मानव नियंत्रक नहीं है बल्कि वह तो मात्र ‘दृष्टा’ है। उसके भीतर ही कहीं असीम शक्ति का स्रोत है जिस तक उसे…

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  • वैश्विक चुनौतियाँ एवं भारतीय मार्ग पर आधारित वैश्विक दृष्टि : भाग (२/३)

    21वीं सदी का सबसे बड़ा व्यापार, हथियारों व अन्य युद्ध सामग्रियों से जुड़ा हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य बजट है, जिसमें प्रतिवर्ष 876.9 अरब डॉलर का खर्च होता है। उसके बाद सबसे बड़ा सैन्य व्ययकर्ता चीन है, जो प्रतिवर्ष 292 अरब डॉलर खर्च करता है। चीन के बाद नम्बर आता है…

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  • वैश्विक चुनौतियाँ एवं भारतीय मार्ग पर आधारित वैश्विक दृष्टि : भाग (१/३)

    वर्तमान विश्व में व्याप्त तमाम तरह की चुनौतियों पर सतही स्तर के कई विचार दिए जा सकते हैं, हालाँकि यदि वास्तव में विवेचना की जाए, तो हम पायेंगे कि ‘मनुष्य की मनःस्थिति’ अथवा ‘दृष्टि’ ही वर्तमान परिस्थितियों की सबसे प्रमुख कारक रही है। धारणाएँ और मान्यताएँ वे प्रमुख तत्व हैं, जिनसे मनोस्थिति निर्मित होती है।…

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  • अयोध्या में राम की स्थापना वभारतीय मानस का पुनरुद्धार : वाल्मीकि रामायण पर आधारित

    रामायण के बालकाण्डम् के पंचम सर्गः के नवें श्लोक में वाल्मीकि जी कहते हैं कि राजा दशरथ ने अयोध्यापुरी को ‘धर्म’ और ‘न्याय’ के बल पर बसाया है। यह है ‘भारतीय मानस’। किसी नगर को बसाने हेतु मुख्य तत्व ‘धर्म’ और ‘न्याय’ हैं। स्वभाविक है, कि यहाँ ‘धर्म’ से तात्पर्य किसी सम्प्रदाय विशेष से नहीं…

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