भिक्षावृत्ति के पुनर्जागरण को लेकर एक संन्निष्ठ प्रयास

भिक्षावृत्ति के पुनर्जागरण को लेकर एक संन्निष्ठ प्रयास

भारत में पारंपरिक रूप से अन्न, दूध, शिक्षा, न्याय एवं चिकित्सा का व्यापार निषिद्ध रहा है, किन्तु फिर भी हमारे गाँवों में घी दूध की नदियाँ बहती रही हैं, शिक्षा पाने के लिए तो दुनियाभर ने भारत की दिशा में देखा है और कुछ ऐसा ही न्याय एवं चिकित्सा को लेकर भी है। जबसे ये सारे तत्त्व व्यापार के भीतर आ गए हैं, तब से श्रेष्ठ केवल धनिकों के लिए आरक्षित रह गया है।

यह चिंतनीय है, कि भारत में ऐसी तो कैसी व्यवस्था रही होगी, कि बिना fees लिए भी सहस्रों लाखों की संख्या में गुरुकुल चलते रहे होंगे और सदियों तक भारत विश्व के लिए विद्याधाम रहा होगा।
अहमदाबाद स्थित पुनरुत्थान विद्यापीठ भारतीय शिक्षा में चिंतन करने वाले सभी के लिए एक मातृसंस्था के रूप में विद्यमान है। (http://punarutthan.org)

पुनरुत्थान विद्यापीठ की सभी योजनाएँ, प्रकल्प और कार्यक्रम शुद्ध भारतीय ज्ञान धारा के अनुसार भारतीय पद्धति से और निःशुल्क होते हैं। पुनरुत्थान विद्यापीठ मौलिक रूप में ही अर्थनिरपेक्ष और स्वायत्त है, समाजनिष्ठ है और भारतीय परंपरा का अनुसरण करता है। विद्यापीठ के निर्वाह हेतु आवश्यक अर्थ की व्यवस्था भारतीय समाज के सहयोग से ही होती आई है। पुनरुत्थान विद्यापीठ की कुलपति सुश्री इन्दुमतिबहन काटदरे इस विषय पर संवाद में बताती हैं, कि शिक्षा का आर्थिक आधार  भारत में दान, दक्षिणा और भिक्षा रहा है।


दान वह, जो समाज में से किसी भी व्यक्ति या संस्था के द्वारा दिया जाए (बदले में आशीर्वाद छोड़कर और कोई भी अपेक्षा रखे बिना)। दक्षिणा वह, जो विद्यार्थी विद्याभ्यास के उपरांत गुरु को प्रदान करे। और भिक्षा वह, जिसकी याचना की जाए, जिसे मांगा जाए।

भिक्षाटन भारत में गरिमापूर्ण रहा है। भिक्षा मांगना एवं भिक्षा प्रदान करना दोनों ही पुण्यकर्म माने गए हैं। भिक्षा मांगने से भिक्षुक के अहंकार का शमन होता रहता है, समाज को धर्म की दिशा में प्रेरित करने का पुण्यकर्म करने का अवसर प्राप्त होता है, समाज में अनासक्ति एवं निर्लिप्तता की व्याप्ति की दिशा में पुरुषार्थ होता है एवं भिक्षावृत्ति की प्रतिष्ठा की पुन:स्थापना होती है।


हमारे प्राचीन गुरुकुलों में राजकुमार भी भिक्षा मांगने के लिए जाते रहे हैं और जब कोई साधारण व्यक्ति एक राजकुमार को अपने द्वार पर याचना करते देखता है, तो उसमें भी निर्लिप्तता के भाव की जागृति होती है एवं भिक्षावृत्ति की गरिमा भी बनी रहती है। समयचक्र के साथ होते परिवर्तनों के चलते और मैकॉले के समय से गुरुकुल शिक्षा के होते रहे ह्रास के चलते आज हम इस स्थिति में पहुँच गए हैं, कि ये सब कल्पना करना भी हमारे लिए कठिन होने लगा है।
लगभग लगभग सभी स्कूल या तो fees लेकर चलते हैं, या तो यदि वे गुरुकुल परंपरा से थोड़े से भी प्रेरित हैं, तो fees का नाम बदलकर सहयोग राशि या सहयोग शुल्क कर दिया जाता है, लेकिन बात तो वही रहती है, कि कुछ पैसे दिए बिना बच्चों को शिक्षा नहीं मिलेगी।


पुनरुत्थान विद्यापीठ ने पिछले दो वर्षों से श्रीनिधि भिक्षा योजना का प्रारम्भ किया है, जिसके अंतर्गत पुनरुत्थान विद्यापीठ की कुलपति सुश्री इन्दुमतिबहन काटदरे समेत विद्यापीठ के सभी कार्यकर्ता देवोत्थान एकादशी / प्रबोधिनी एकादशी / कार्तिक शुक्ल एकादशी (इस वर्ष 12 नवम्बर, 2024) से एक माह तक भिक्षा तप करते हैं, अर्थात समाज से भिक्षा की याचना करते हैं।


भिक्षा की याचना करने का अर्थ है, लोगों के घरों में जाना, ॐ भवान् भिक्षाम् देहि कहकर भिक्षा की याचना करना और यदि यजमान परिवार के द्वारा स्वागत किया जाए, तो उनके घर में जाकर विद्यापीठ के क्रियाकलापों के विषय में समझाना, विद्यापीठ के आर्थिक व्यवस्थापन के विषय में उन्हें सूचित करना और फिर उनके द्वारा जो भी धनराशि भौतिक रूप से, अथवा चैक किंवा ड्राफ्ट के द्वारा अथवा online transfer से दी जाए, उसका स्वीकार करना और यजमान के परिवार के कल्याण हेतु प्रार्थना करके उन्हें आशीर्वाद प्रदान करना, उन्हें भुगतान के लिए स्वीकार पर्ची देना और वहाँ से विदाय लेना। पुनरुत्थान विद्यापीठ को दिया गया अनुदान भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80G के अंतर्गत आयकर से मुक्त है।


पिछले वर्ष के पुनरुत्थान विद्यापीठ के श्रीनिधि भिक्षा तप से प्रेरित होकर इस वर्ष गुरुकुल शिक्षा परंपरा से प्रेरित कई शिक्षा संस्थानों ने भी इस योजना में सम्मिलित होकर भिक्षावृत्ति को आंशिक रूप से स्वीकार किया है।
इस वर्ष के भिक्षा तप का समापन गीता जयंती (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी – 11 दिसम्बर) के दिन होगा।


कितनी भिक्षा दी जा रही है, उससे अधिक महत्त्व भिक्षा देने का है और भिक्षावृत्ति की अनुभूति के द्वारा स्वयं के भीतर के षड् रिपु के शमन की अनुभूति का है।

भिक्षावृत्ति की प्रतिष्ठा की पुन:स्थापना के लिए किए जा रहे इन प्रयासों के लिए हम पुनरुत्थान विद्यापीठ को अनेक वंदन करते हैं, एवं इस योजना में जुडने के लिए सार्थक संवाद के पाठकों का आवाहन करते हैं।
यदि आप पुनरुत्थान विद्यापीठ को भिक्षा प्रदान करना चाहते हैं, तो आप श्रीनिधि भिक्षा योजना के सह संयोजक श्री विपुलभाई रावल का 99790 99942 पर संपर्क कर सकते हैं।


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