Category: अंधेरी रात के तारे

  • मृत्यु के तांडव में शिवसंकल्प

    मृत्यु के तांडव में शिवसंकल्प

    लेखक – किशनसिंह चावडा (जिप्सी) प्लेग के दिन थे। महामारी ने पूरे शहरमें भय और आतंक का वातावरण फैला रखा था। जिन्हें बाहर चले जाने की सुविधा थी, वे कभी के शहर छोड़ कर चले गये थे। धनवान और उच्च मध्यम वर्ग के बहुत से लोग शहर के बाहर कुटिया बना कर रहने लगे थे।…

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  • प्रभु मोरे अवगुन चित न धरो

    लेखक – किशनसिंह चावडा पिताजी भक्त थे। निरांत संप्रदाय में उनकी गुरु परंपरा थी। अर्जुनवाणी के रचयिता अर्जुन भगत उनके गुरुभाई थे। पिताजी ने भी सन 1913 – 14 में तत्त्वसार भजनावलि नामक एक भजनसंग्रह छपवाया था। भजन गाने का उन्हें जन्मजात शौक था। प्रकृति ने बुलंद आवाज की देन दी थी। पुराने ठाठों की…

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  • अंधेरी रात के तारे – माँ

    किशनसिंह चावडा बीसवीं शताब्दी के गुजरात के ख्यातनाम लेखक रहे हैं, जिन्होंने कई सारे वृतांत लिखे हैं। इनमें से अधिकांश प्रसिद्ध गुजराती कवि श्री उमाशंकर जोशी जी की पत्रिका संस्कृति में १९४७ के कुछ समय बाद से “जिप्सीनी आंखोथी” (जिप्सी की आंखो से) शीर्षक से प्रकाशित होते रहे हैं। इन सभी लेखों का संकलन करके…

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