Tag: मौलिकता

  • आत्म-संकोच

    अपनी बोली में लिखने का मज़ा ही कुछ और है। कितनी सहजता अपने आप आ जाती है। अँग्रेजी ने कितना कबाड़ा किया है – दिमाग का, सोच का, दृष्टि का, सोचने के ढंग का – इसका मूल्यांकन होना अभी बहुत दूर की बात है। जो थोड़े से लोग (इनकी संख्या तेजी से बढ़ती जा रही…

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