Month: April 2024
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उजाले से अँधियारे में : भाग (२/२)
गतांक से चालू। भाग १ यहाँ पढ़ें। (२) शाम ढल चुकी थी। कृष्णपक्ष की रात का अँधेरा उतर आया था। बिजली के खम्भों की रोशनी से वह दबने को तैयार नहीं था। ठण्ड कह रही थी, कि दिल्ली में मेरा राज है, काँग्रेस का नहीं। शायद नौ बजे होंगे। पूरे शाहजहाँ रोड पर मेरे सिवा…
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उजाले से अँधियारे में : भाग (१/२)
नयी दिल्ली का अपना एक विशिष्ट व्यक्तित्व है। उस पर पंजाबी संस्कारिता की छाप है और उत्तर प्रदेश की सभ्यता का प्रभाव है। दिल्ली की अपनी परम्परागत मौलिक तहज़ीब तो उसके ताने-बाने में बुनी हुई है, परन्तु आजकल ये सारे प्रभाव तिरोहित होते जा रहे हैं और उन पर छा गया है पश्चिम की संस्कृति…
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वाल्मीकि रामायण में संचार कौशल के अद्भूत प्रकरण
हम रामायण महाभारत आदि में कहानियाँ देख सकते हैं, भक्ति देख सकते हैं, जीवन मूल्य देख सकते हैं। ये महाकाव्य तो महासागर के समान हैं। इनमें से जो ढूंढना चाहो, जान सकते हो। अनिल मैखुरी जी वाल्मीकि रामायण में वर्णित दो प्रसंगों में से संचार कौशल से जुडी महीन बातें ढूंढकर हमें बताते हैं, कि…