एक भारत ऐसा भी के पिछले अंक में हमने भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित एक कहानी सुनी, जिसमें एक कुम्हार की कहानी थी। उस कहानी को सुनकर हमारे कई दर्शकों के मन में भारतीय अर्थव्यवस्था के विषय में जिज्ञासा उत्पन्न हुई, जिसके समाधान हेतु हम लेकर आए हैं एक भारत ऐसा भी का अगला अंक, जिसमें हमारे अतिथि के रूप में पधारे हैं मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के इन्द्राना गाँव स्थित जीविका अध्ययन एवं शोध केन्द्र के स्थापक एवं भारतीयता के अध्येता श्री आशीष कुमार गुप्ता जी।
आशीष जी के साथ के संवाद के कुछ मुख्य बिन्दु इस प्रकार हैं।
- भारत में कई सारे छोटे छोटे कामों को करने के लिए भी कई जातियों को काफी सारा धन (अनाज के स्वरूप में) दिया जाता रहा है, यहाँ वे लोहार का एक उदाहरण देते हैं, किन्तु ऐसे कई उदाहरण हमारे गाँवों में मिल जाएंगे। अब ये तो कोई barter नहीं हुआ, barter में तो बराबरी में ही लेनदेन होती है। तो भारतीय अर्थ व्यवस्था इस प्रकार barter system से भिन्न है, कि यहाँ किसी को कुछ देने के लिए भी परम्पराएँ बनाई गई हैं, आवश्यकता का काम तो किया ही जाता है, लेकिन जो आवश्यक ना हो, वैसा काम भी करवाया जाता है, ताकि उसके माध्यम से भी दिया जा सके, अत: यहाँ देने को प्राधान्य दिया गया है।
- हमें सिखाया पढ़ाया जाता है, कि मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ रोटी कपड़ा और मकान है, या तो पानी, बिजली और सड़क; परंतु इन भौतिक आवश्यकताओं की आपूर्ति जितना ही महत्त्वपूर्ण है, सम्मान का मिलना। हमारे यहाँ ऐसी भी कई सारी परम्पराएँ बनाई गई हैं, जिनमें किसी ना किसी का मान करना हो। विवाह आदि संस्कारों में तो प्राय: हरेक जाति का मान करना होता है।
- इस प्रकार समग्र समाज में आहार की सुरक्षा (भौतिक द्रव्यों की आपूर्ति) एवं सम्मान (आजीविका को लेकर) की व्यवस्था कायम की गई थी।
- आजकल वैकल्पिक अर्थव्यवस्था को लेकर कई सारे प्रयास दिख रहे हैं, जैसेकि localization, minimalism और ऐसे ही कई सारे isms। ये सभी isms के द्वारा जिन जिन ध्येयों को सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है, वे सभी ध्येय हमें भारतीय अर्थव्यवस्था में सिद्ध हुए दिखते हैं।
- आज जितने भी भिन्न भिन्न isms की बात होती है, वे सब घूम फिरकर तो आय प्रधान अर्थव्यवस्था के ही स्वरूप हैं, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था व्ययप्रधान रही है।
एक भारत ऐसा भी के अगले अंक में हम आ रहे हैं आपके सामने बात लेकर कि आय प्रधान और व्ययप्रधान अर्थव्यवस्था के बीच में भेद कैसे किया जा सकता है।
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