Category: Hindi Articles
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वैश्विक चुनौतियाँ एवं भारतीय मार्ग पर आधारित वैश्विक दृष्टि : भाग (३/३)
गतांक से चालू। भाग २ यहाँ पढ़ें। ‘सनातन सत्य’ अर्थात ‘जो है’ उसे देखना और उसमें जीना। इसे अनुभव की एक विशेष अवस्था प्राप्त हो जाने के पर साक्षात देखा गया है। यहाँ मानव नियंत्रक नहीं है बल्कि वह तो मात्र ‘दृष्टा’ है। उसके भीतर ही कहीं असीम शक्ति का स्रोत है जिस तक उसे…
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वैश्विक चुनौतियाँ एवं भारतीय मार्ग पर आधारित वैश्विक दृष्टि : भाग (२/३)
21वीं सदी का सबसे बड़ा व्यापार, हथियारों व अन्य युद्ध सामग्रियों से जुड़ा हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य बजट है, जिसमें प्रतिवर्ष 876.9 अरब डॉलर का खर्च होता है। उसके बाद सबसे बड़ा सैन्य व्ययकर्ता चीन है, जो प्रतिवर्ष 292 अरब डॉलर खर्च करता है। चीन के बाद नम्बर आता है…
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वैश्विक चुनौतियाँ एवं भारतीय मार्ग पर आधारित वैश्विक दृष्टि : भाग (१/३)
वर्तमान विश्व में व्याप्त तमाम तरह की चुनौतियों पर सतही स्तर के कई विचार दिए जा सकते हैं, हालाँकि यदि वास्तव में विवेचना की जाए, तो हम पायेंगे कि ‘मनुष्य की मनःस्थिति’ अथवा ‘दृष्टि’ ही वर्तमान परिस्थितियों की सबसे प्रमुख कारक रही है। धारणाएँ और मान्यताएँ वे प्रमुख तत्व हैं, जिनसे मनोस्थिति निर्मित होती है।…
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कफनफरोश
मित्रमंडली में उनका प्यार का संक्षिप्त नाम था आर. डी., सो इस हद तक, कि उनकी पत्नी तक बातचीत में उनका उल्लेख बिना किसी संकोच के इसी नाम से करती। आदमी थे गणित के क्षेत्र के। गणित विषय लेकर एम.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी, लेकिन ललित कलाओं में बेहद दिलचस्पी। जीवन के प्रति अपार…
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श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के निर्माण का आधार रूप दीर्घकालीन बौद्धिक संघर्ष
श्रीरामजन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण के लिए न केवल लम्बी क़ानूनी लड़ाई लड़ी गई थी और धरातल पर कारसेवकों ने इसके लिए संघर्ष किया था, बल्कि इसकी तर्कयोजना के निर्माण के लिए अनेक बुद्धिजीवियों ने भी अख़बारों के पन्ने रंगे थे। यह दुनिया का इकलौता ऐसा मामला होगा, जिसमें किसी देश के बहुसंख्यक समुदाय ने अपने…
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अयोध्या में राम की स्थापना वभारतीय मानस का पुनरुद्धार : वाल्मीकि रामायण पर आधारित
रामायण के बालकाण्डम् के पंचम सर्गः के नवें श्लोक में वाल्मीकि जी कहते हैं कि राजा दशरथ ने अयोध्यापुरी को ‘धर्म’ और ‘न्याय’ के बल पर बसाया है। यह है ‘भारतीय मानस’। किसी नगर को बसाने हेतु मुख्य तत्व ‘धर्म’ और ‘न्याय’ हैं। स्वभाविक है, कि यहाँ ‘धर्म’ से तात्पर्य किसी सम्प्रदाय विशेष से नहीं…
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शिक्षा, अर्थ व्यवस्था और स्वतन्त्रता (२/२)
आर्थिक क्षेत्र के हर मोड़ के साथ शिक्षा का मोड़ साथ साथ चलता है और इसका सबसे घातक असर हमारे मूल्यों के ह्रास में दिखाई देता है; हमारे नैतिक पतन में दिखाई पड़ता है और किसी भी तरह से पैसा कमाने वाली प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन मिलने में दिखाई पड़ता है। यदि सट्टा और जुआ खेलना…
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शिक्षा, अर्थ व्यवस्था और स्वतन्त्रता (१/२)
मैं समझता हूँ कि शिक्षा और अर्थ व्यवस्था के संबंध को पूरी तरह से समझना बहुत ज़रूरी है न कि सिर्फ़शिक्षक या शिक्षाविदों के लिए, लेकिन हम सबके लिए भी। ‘अर्थ व्यवस्था’ शब्दों से मैं शिक्षा के नाम पर होरही व्यापार या बिसनेस की बात नहीं कर रहा; मगर मैं उम्मीद करता हूँ, कि जब…
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भारतीय समाज व्यवस्था और उसका आर्थिक पक्ष, राष्ट्रीय संगोष्ठी – एक रिपोर्ट
मित्रों, आज जब भी भारतीय व्यवस्थाओं की बात होती है, तो अक्सर पदार्थों (ऑर्गेनिक भोजन, मिट्टी के मकान – बर्तन इत्यादि) तक बात सीमित रह जाती है और ये सब भी इतने महंगे में बिकता है, कि साधारण व्यक्ति के बस से तो बाहर ही हो चला है। लेन देन का एक मात्र माध्यम व्यापार…
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देवालय निर्माण
जीवन में आपके समक्ष कौन कौन सी परिस्थिति उत्पन्न होगी, ये आपके अधिकार क्षेत्र से परे है, किन्तु उन परिस्थितियों को आप कौन से दृष्टिकोण से देखेंगे, ये तो आप ही निश्चित कर सकते हैं। पढ़िए *देवालय का निर्माण* अयोध्या स्थित *आचार्य श्री मिथिलेशनन्दिनी शरण जी* की कलम से।
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