स्वाति जल

अश्विनी, भरणी आदि 27 नक्षत्रों में से सूर्य जिस नक्षत्र में होता है, उसे “सौर नक्षत्र” माना जाता है। सूर्य एक नक्षत्र में लगभग ११ से १३ दिन रहता है। एक साल में सूर्य सारे २७ नक्षत्रों से पार होता है। व्यवहार में जिन मृगादि नौ नक्षत्रों की गणना प्रचलित है, वो बारिश के सौर नक्षत्र हैं।

चंद्र हर मास में सारे नक्षत्रों से यात्रा करता है। सामान्यतः चंद्र एक नक्षत्र में एक दिन रहता है। तीन पूर्वा (फाल्गुनी, आषाढा और भाद्रपद) नक्षत्रों में लगभग दो दिन रहता है।

शरद ऋतु में चंद्र-सूर्य-तथा अगतस्य तारे की किरणों के प्रभाव से पृथ्वी का पानी शुचि-विमल-मेध्य इ. गुणधारी होता है, जिसे “शारदजल” कहा जाता है। चरकादि ग्रंथों में इस का उल्लेख है। शरद ऋतु का आखरी भाग स्वाति नक्षत्र है। इस नक्षत्र में हुई बरसात के पानी को विशिष्ट पद्धति से संग्रहित कर इसी स्वातिजल को स्नान / पान के लिए उपयोग करने की हमारे यहां परंपरा है तथा कुछ मंदिरों में नवजात शिशु व माताओं को उसे ‘तीर्थोदक’ के रूप में देने की परंपरा है।

चलिए, स्वाति जल को संग्रहित कर के आरोग्य प्राप्ति तथा आरोग्य रक्षा के लिए प्रयास करते हैं।

टिप्पणी:

इस साल – ई. २०२२ में सूर्य २४ अक्तूबर को स्वाति नक्षत्र में प्रवेश कर रहा है। सूर्य इस नक्षत्र में ५ नवंबर तक रहेगा। पूरे वर्ष में केवल इसी काल में स्वाति जल संग्रहित कर सकते हैं।

डॉ. सी. बी. देसाई, यादगुड, कर्नाटक

स्वाति जल के विषय में अधिक जानकारी हेतु संपर्कसूत्र:-

१) श्री. सुनील काणेकर +91 94226 29468

२) डॉ. राजेंद्र पाटील +91 93734 20225

३) श्री. गणेश श्रीनिवासन +91 70586 50697

४) डॉ. श्रीदेवी बेळवी +91 82776 42247

५) डॉ. रश्मी राऊत-गाडगीळ +91 93074 00922


Discover more from सार्थक संवाद

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Tags:

Comments

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from सार्थक संवाद

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading