Month: October 2020

  • The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग २/४)

    The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग २/४)

    धर्मपाल के ब्रिटिशपूर्व भारतसंबंधी कार्य से गुज़रना एक विचित्र संसार में प्रवेश करने जैसा लगता है। इसका एक कारण तो यह कि पुराने भारत संबंधी अधिकतर व्याख्याएँ सांख्यिकीय आंकड़ों से विहीन मात्र भावुक घोषणाओं पर खड़ी रहती हैं या फ़िर पुराने भारत को सामाजिक अंतर्विरोधों के आधार पर कोसने में उत्सुक। ये कोई छिपी हुई…

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  • धर्मपाल साहित्य परिचय

    पिछली दो ढाई शताब्दियों से भारत का साधारण मनुष्य बड़े ही असमंजस से गुजर रहा है। एक ओर उसके संस्कार व उसकी परवरिश है, जो उसे ईश्वर में, सत्य में, धर्म में आस्था रखना सिखाते हैं, काल की चक्रियता को सिखाते हैं, बुरे वक्त में एक दूसरे के काम आना सिखाते हैं, कर भला तो…

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  • The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग १/४)

    The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग १/४)

    भूमिका: भारतीय शिक्षा भारतीय समाज से विच्छिन्न परिघटना नहीं है। शिक्षा समाज के लिए और समाज के भीतर ही होती है। अतः भारतीय शिक्षा के स्वरूप को भारतीय समाज के स्वरूप से तोड़कर देखना जानना संभव नहीं है। भारतीय शिक्षा पद्धति के सिलसिले में आधुनिक चिंतन धाराओं द्वारा की जाने वाली आलोचना दरअसल उस वक़्त…

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  • Zombies of Obedience

    Zombies of Obedience

    Note: This article is divided in two pages and it is worth reading. Please read till the end. I wonder how many of us recall the Civil Disobedience movement of pre-Independent India. Under Mahatma Gandhi’s guidance, India showed the world a practical and ethical political resistance which shook the British colonizer like no other form…

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  • Bharathiya – Non-Translatable words: Part 4. Rajya Vyavastha

    Bharathiya – Non-Translatable words: Part 4. Rajya Vyavastha

    Before the forcing of Democracy upon the people of Bharat, most scholars and historians say that Bharat was a country ruled by small kings with small kingdoms and they were always fighting with each other, but when we look at history without any tainted glasses, we find that this is not the case. It is…

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  • महात्मा गांधी की सभ्यता दृष्टि

    महात्मा गांधी की सभ्यता दृष्टि

    गांधी जी के सभ्यतागत विचारों को जानने की दृष्टि से सीधे-सीधे एक लाइन में कहा जाय तो कह सकते हैं कि हिंद स्वराज को पढ़ लेना चाहिए। जिसमें गांधी जी ने पश्चिमी (ईसाई) सभ्यता को शैतानी सभ्यता घोषित किया है और उसकी अनुगामी संसदीय लोकतंत्र प्रणाली की बांझ और वैश्या से तुलना की है। हिंद…

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