Author: Team Saarthak Samvaad
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अंधेरी रात के तारे – माँ
किशनसिंह चावडा बीसवीं शताब्दी के गुजरात के ख्यातनाम लेखक रहे हैं, जिन्होंने कई सारे वृतांत लिखे हैं। इनमें से अधिकांश प्रसिद्ध गुजराती कवि श्री उमाशंकर जोशी जी की पत्रिका संस्कृति में १९४७ के कुछ समय बाद से “जिप्सीनी आंखोथी” (जिप्सी की आंखो से) शीर्षक से प्रकाशित होते रहे हैं। इन सभी लेखों का संकलन करके…
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Ek Bharat Aisa Bhi – Episode 4 – भारतीय अर्थव्यवस्था बनाम आधुनिक अर्थव्यवस्था
एक भारत ऐसा भी के पिछले अंक में हमने भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित एक कहानी सुनी, जिसमें एक कुम्हार की कहानी थी। उस कहानी को सुनकर हमारे कई दर्शकों के मन में भारतीय अर्थव्यवस्था के विषय में जिज्ञासा उत्पन्न हुई, जिसके समाधान हेतु हम लेकर आए हैं एक भारत ऐसा भी का अगला अंक, जिसमें…
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Ek Bharat Aisa Bhi – Episode 3 – भारतीय अर्थव्यवस्था बनाम आधुनिक अर्थव्यवस्था
कहते तो सब हैं कि भारत में अन्न, दूध, औषधि, शिक्षा और न्याय का व्यापार वर्जित था, लेकिन इस व्यवस्था के पीछे का चिंतन किया जाना भी अति आवश्यक है। प्रस्तुत है एक भारत ऐसा भी का तृतीय अंक, जिसमें हम बात कर रहे हैं एक ऐसी व्यवस्था की जहाँ कुम्हार से लेकर बढई से…
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Ek Bharat Aisa Bhi – Episode 2 – Welfare State जैसी व्यवस्था का भारतीय स्वरूप
प्रस्तुत है एक भारत ऐसा भी का द्वितीय अंक, एक ऐसी कहानी, जो आपको सोचने पर विवश कर देगी। कहानी यहाँ लिखकर आपका मजा किरकिरा नहीं करेंगे, लेकिन कहानी सुनने के बाद नीचे जो लिखा है, उसे जरूर पढिए। आजकल सरकारों के द्वारा कितनी ही योजनाएँ बनाई जाती हैं, जिससे गरीबों की सहायता हो सके,…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (२/५)
‘विविधता’ हमारी व्यवस्था में स्वाभाविक रूप से पोषित होती है। तथाकथित भौगौलिक परिस्थितियों में विविधता के अलावा भी भारतीय समाज में व्यवस्था-जनित अन्य ढेरों चीजें थीं, जिनके कारण हमारा समाज विविधतापूर्वक जीता था। आजकी आधुनिक व्यवस्था, भौगौलिक परिस्थितियों में पहले की तरह की ही विविधता होने के बावजूद भी, सब कुछ एक जैसा, एक समान…
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Ek Bharat Aisa Bhi: Episode 1 – Intro to the series
आज भी भारत के गाँवों में खुद रहे हजारों लाखों कुओं के लिए सेटेलाईट की कोई जरूरत नहीं पड़ती है, सिर्फ हाथ में नारियल लेकर पानी दिखाने वाले लोग गाँव गाँव में हैं, बिना मशीन के या बिना बैल की घाने के तेल निकालने वाले लोग भी हैं और ऐसे ही अनेक अजूबे आज भी…
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Pre-Launch Video of “Ek Bharat Aisa Bhi”
Dr Harsh Satya holds a PhD on the topic titled ‘Towards Revitalizing Diversity: A Study of the Traditional Jajmāni System in India’ from IIIT Hyderabad. Jajmāni System is an altogether different paradigm on socio economic fronts. While conducting his research, he happened to meet many illuminary personalities and societies in the hinterlands of rural and…
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Indian Village & The Jajmani System: Dr. Harsh Satya & Pranav Vasistha GV
Very little has been written about the intra village relations among people and the backbone of Indian village systems. Many of us do know that the paradigm of the modern day transaction centric business was (and to quite an extent is) not much practised within the Indian villages, what we often do not know is…
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धर्मपाल साहित्य परिचय
पिछली दो ढाई शताब्दियों से भारत का साधारण मनुष्य बड़े ही असमंजस से गुजर रहा है। एक ओर उसके संस्कार व उसकी परवरिश है, जो उसे ईश्वर में, सत्य में, धर्म में आस्था रखना सिखाते हैं, काल की चक्रियता को सिखाते हैं, बुरे वक्त में एक दूसरे के काम आना सिखाते हैं, कर भला तो…
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