Category: All Articles
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ४
गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग १
धर्मपाल जी का समग्र लेखन छपने के बाद उसमें से प्रत्येक अध्येता अपनी रुचियों के अनुसार गुज़रता है। मैं भी कुछ हिस्सों से गुज़रा। स्वभावतः भारत की वे छवियाँ टूट गयीं, जो बरसों से मन में आधुनिक शिक्षा के कारण बनी हुई थीं, लेकिन इन छवियों के टूटने के कारण विशिष्ट थे।
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सौभाग्य
हमारे घर में नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा होती थी। हमारे पुरोहित छगन महाराज सुबह से ही आकर चंदन घिसने लगते। घिसा हुआ चंदन एक कटोरी में भरते। फिर एक दातुन को कुचल कर उसकी कूची बनाते। एक आले को गोबर से लीपा जाता। कूंची से उस लिये हुए आले में नागदेवता के चित्र…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (४/५)
आधुनिकता का एक और बहुत बड़ा दुष्परिणाम समाज में ‘नौकरशाही’ का फैलाव है। आज भारत में शायद ही ऐसे घर होंगे, जिनका एक भी सदस्य किसी न किसी जगह पर नौकरी न करता हो। कहाँ जहाँ भारत में ‘उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और निकृष्ट चाकरी’ का सिद्धांत था, आधुनिक व्यवस्था में इसका एकदम उल्टा है।…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (३/५)
गुरुजी के अनुसार आधुनिक व्यवस्था भारत में सभी को संचार जाति वाला बनाती जा रही है। आज कोई भी व्यक्ति अपने गांव में रहकर जी नहीं पा रहा है। हरेक को जीने के लिए बाहर निकलना पड़ रहा है। इसका अर्थ है, कि आज सारा का सारा समाज खानाबदोश होता जा रहा है, जिसको सिर्फ…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (२/५)
‘विविधता’ हमारी व्यवस्था में स्वाभाविक रूप से पोषित होती है। तथाकथित भौगौलिक परिस्थितियों में विविधता के अलावा भी भारतीय समाज में व्यवस्था-जनित अन्य ढेरों चीजें थीं, जिनके कारण हमारा समाज विविधतापूर्वक जीता था। आजकी आधुनिक व्यवस्था, भौगौलिक परिस्थितियों में पहले की तरह की ही विविधता होने के बावजूद भी, सब कुछ एक जैसा, एक समान…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (१/५)
आधुनिकता या आधुनिक व्यवस्था, ये दोनों ही गुरूजी के अध्ययन विषय नहीं हैं। उनके अध्ययन का मुख्य विषय तो भारतीयता और भारतीय समाज व्यवस्था ही है। पंरतु, गुरूजी की बातचीत में आधुनिकता के बारे में जितना कुछ पता चलता है, उतना अन्य कहीं मिलता, कम से कम मेरे लिए तो मुश्किल ही जान पड़ता है।…
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धरमपाल जी की चिंता: सहजता और आत्म विश्वास कैसे लौटे
यह धरमपाल जी का शताब्दी वर्ष है। जगह जगह छोटे बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। अभी 19 तारीख को धर्मपाल जी के जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री ने शांति निकेतन, बंगाल में दिये अपने एक भाषण में शिवाजी जयंती (जो उसी दिन पड़ती है) के साथ धर्मपाल जी के शोध का कुछ विस्तार से ज़िक्र भी किया।…
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग ३-४/४)
धर्मपाल की भाषा आरोप मढ़ने वाली भाषा नहीं है। वे जब भी ब्रिटिश शासन का उल्लेख करते हैं तो न के बराबर व्यक्तिगत होते हैं। उनकी भाषा एक सावधानीपूर्ण प्रयोग से युक्त है। यही बात उन्हें दूसरी धाराओं से जुदा करती है। इसके मूल उनके गांधीवादी चिंतन में हैं। गांधीजी सम्भवतः सबसे ताकतवर ढंग से…
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग २/४)
धर्मपाल के ब्रिटिशपूर्व भारतसंबंधी कार्य से गुज़रना एक विचित्र संसार में प्रवेश करने जैसा लगता है। इसका एक कारण तो यह कि पुराने भारत संबंधी अधिकतर व्याख्याएँ सांख्यिकीय आंकड़ों से विहीन मात्र भावुक घोषणाओं पर खड़ी रहती हैं या फ़िर पुराने भारत को सामाजिक अंतर्विरोधों के आधार पर कोसने में उत्सुक। ये कोई छिपी हुई…
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