आज भी भारत के गाँवों में खुद रहे हजारों लाखों कुओं के लिए सेटेलाईट की कोई जरूरत नहीं पड़ती है, सिर्फ हाथ में नारियल लेकर पानी दिखाने वाले लोग गाँव गाँव में हैं, बिना मशीन के या बिना बैल की घाने के तेल निकालने वाले लोग भी हैं और ऐसे ही अनेक अजूबे आज भी हमारे गाँवों में भरे पड़े हैं।
सोचने वाली बात ये है कि ये सब कैसे संभव हुआ? ये सबकुछ चुटकियों में तो नहीं होता। इन सबके पीछे कई पीढ़ियों की साधना होती है, परिश्रम होता है, जिसे प्राय: हम अनदेखा कर देते हैं। ऐसा इस लिए होता है कि हम हमारे विगत से कटे हुए हैं। यदि उसे जान लें, उससे जुड़ जाएँ, तो हमें भी बहुत कुछ दिखने लगेगा।
आज से १०० वर्ष पूर्व जन्मे एक महानुभाव ने हमें हमारे अतीत से जोड़ने का सुंदर प्रयास किया। आदरणीय धर्मपाल जी ने अंग्रेजों के समय के भारत की जो तस्वीर दस्तावेजीय प्रमाणों (documentary evidences) के आधार पर खींची है, उसे देखने से हम सभी सानंदाश्चर्य के भाव से अभिभूत हो जाएंगे। धर्मपाल जी के कामों को https://www.dharampal.net/ के उपर देखा जा सकता है।
सुनिए इस विषय का विस्तृत विवेचन एक भारत ऐसा भी के प्रथम अंक में।
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