अब हमारे सामने प्रश्न ये है, कि भारतीय चित्त की इस मूल भूमि को किसने सबसे सटीक पहचाना! स्वाभाविक उत्तर होगा, कि गांधीजी ने। इसीलिए

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भारत के स्वर्णमयी इतिहास की बातें व कुछ कुछ किस्से तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन ये इक्का दुक्का किस्से कोई सम्पूर्ण दृष्य बनाने में सक्षम नहीं हैं। इस खाई को पाटा है, श्री धर्मपाल जी ने, जिन्होंने भारत में अंग्रेजी राज के समय के दस्तावेजों का अध्ययन करके आत्मविश्वास से भरपूर एक ठोस बात रखी, जिससे यह अधूरा दृष्य काफी हद तक पूरा होता दिखा, किंतु ध्यान उनकी अध्ययन पद्धति व कुछ अन्य विद्वानों की अध्ययन पद्धति पर भी जाना चाहिए।

श्री धर्मपाल जी ने दस्तावेजों के अध्ययन से एवं श्री रवीन्द्र शर्मा जी (गुरुजी) ने भारत के समाज के अवलोकन से जो जो निष्कर्ष निकाले, उनमें दिख रही गजब की साम्यताएँ भी एक अध्ययन का विषय है।

पढ़िए अमनदीप वशिष्ठ जी की कलम से धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग २।

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