Author: Team Saarthak Samvaad
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अच्छाई के लिए प्रोत्साहन – जय प्रकाश नारायण
अतीत काल में मनुष्य किसी उच्चतर नैतिक सत्ता से, जिसमें उसका विश्वास था, प्रेरित हो कर अच्छा बनने का प्रयन्त करता था; और अच्छाई के अर्थ होते थे : सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, दयालुता, चारित्र्य, नि:स्वार्थता आदि।
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Incentives of Goodness by Jayaprakash Narayan
Undoubtedly one of the biggest revolutionaries post independence, fondly known as Loknayak or JP, Jayprakash Narayan is a highly respected socialist leader for his critical thinking of our political dispensation. Contrary to the popular beliefs, JP elaborates the idea of the necessity of a superior non materialistic motive in front of the society to ensure…
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आनयन शिविर
हमें आनयन शिविर के विषय में आपको सूचित करते हुए आनंद होता है। आनयन शिविर में मिट्टी के प्लास्टर, वन भ्रमण एवं वन कथा, पुरातत्त्वीय मंदिरों के दर्शन व भ्रमण, लकड़ी की नक्काशी, मिट्टी / लकड़ी से मूर्तिनिर्माण, आयुर्वेदिक जीवनशैली इत्यादि विषयों पर काम होगा। शिविर का आयोजन १८ फरवरी से २६ फरवरी, २०२३ के…
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Aanayan Workshop
We are delighted to announce Aanayan Workshop – a 9 days residential workshop experimenting with Mud Plaster, Forest Exploration, Heritage Exploration, Bio Diversity Exploration, Wood Carving, Clay / Wood Sculpture, Ayurvedic lifestyle etc. The workshop is being organized from 18 to 26 February, 2023 at Poornam Ashram, Parkhanda – Khareti village 50km away from Vadodara,…
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अपाहिज अंतर्निष्ठा
बहुत वर्ष पहले की बात है। अश्विन महीना था, नवरात्रि के दिन अष्टमी के रोज सुबह मैं घूमने निकला था। वर्षा के भीगे हुए दिनों के बाद शरद की भोर बड़ी सुहावनी लग रही थी। वातावरण में ताजगी थी। चौड़ी सड़क के दोनों ओर के वृक्ष मेरे परिचित थे। उनमें भी गोल चक्कर के पास…
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सौभाग्य
हमारे घर में नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा होती थी। हमारे पुरोहित छगन महाराज सुबह से ही आकर चंदन घिसने लगते। घिसा हुआ चंदन एक कटोरी में भरते। फिर एक दातुन को कुचल कर उसकी कूची बनाते। एक आले को गोबर से लीपा जाता। कूंची से उस लिये हुए आले में नागदेवता के चित्र…
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दो पहलू
कभी कभी आपको कुछ छोटे छोटे अनुभव बहुत कुछ बता जाते हैं। कुछ किस्से लोगों के मन मस्तिष्क में चल रहे विचारों की गाथा सुना जाते हैं। स्व. किशनसिंह चावड़ा जब एक बार ट्रेन से अहमदाबाद से वडोदरा जा रहे थे, तब उन्हें दो अनूठे अनुभव हुए, जो नीतिमत्ता के दो पहलुओं को मुखर कर…
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१. सृजन महोत्सव और २. मस्त शिल्पी
१. सृजन महोत्सव बहुत वर्ष पहले की बात है। बैसाख महीना था। उस आग बरसाती गरमी में श्री नंदलाल बोस शांतिनिकेतन से बड़ौदा आये थे। साथ में उनके शिष्य कलाकारों का समुदाय था। सयाजीराव महाराज के कीर्तिमंदिर की पूर्व की दीवार पर भित्तिचित्र का निर्माण करना था। कीर्तिमंदिर के पिछवाड़े एक छोटे से कमरे में…
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गंगा के घाट पर
एक दिन प्रेमचंदजी, प्रसाद और मैं मणिकर्णिका घाट से नाव में बैठने जा रहे थे, कि पास में ही कहीं से मृदंग पर सधे हुए हाथ की थाप सुनाई दी। मैंने बिनती की, कि कुछ देर रुक कर सुना जाय। हम घाट पर वापस लौटे और जिस ओर से मृदंग की ध्वनि आ रही थी…
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बड़े भैया, केदारा गाइये
लेखक – किशनसिंह चावडा (जिप्सी)किताब – अंधेरी रात के तारे एकादशी और पूर्णिमा के दिन मैं पिताजी के साथ गुरुद्वारे जाया करता था। शाम को भजन होता था। मेरी उम्र उस समय चौदह-पन्द्रह वर्ष की रही होगी। भजन में गुरु महाराज खुद मृदंग बजाते थे। पिताजी करताल बजाते और गिरधर चाचा झाँझ बजाने में सिद्धहस्त…
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