Category: Guruji Ravindra Sharma
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संस्कारों द्वारा पोषित हमारी अपनी सामाजिक (अर्थ) व्यवस्था (भाग २/३)
भाग १ पढ़ने के लिए यहाँ click करें। कारीगरों को इसी तरह का एक और पक्का मार्केट देने के उद्देश्य से समाज में 49 संस्कारों वाली एक अनूठी अर्थव्यवस्था लागू की गई थी। इन सभी 49 संस्कारों में हर कारीगर की, एक से लेकर पाँच (बिना जरूरत की) चीजें खरीदने की व्यवस्था की गई थी…
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संस्कारों द्वारा पोषित हमारी अपनी सामाजिक (अर्थ) व्यवस्था (भाग १/३)
हमारी लगभग सभी परम्पराओं के पीछे एक धार्मिक दृष्टि होने के साथ-साथ कुछ अन्य मूल कारण रहे हैं, जिन्हें समाज ने धार्मिकता के माध्यम से समाज में लागू किया है। इन महत्त्वपूर्ण कारणों में अर्थव्यवस्था का सुचारूपन, समाज में सामाजिकता का उत्तरोत्तर विकास, उस परम्परा का शारीरिक / आयुर्वेदीय महत्त्व, प्रकृति के साथ सामन्जस्य एवं…
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‘सहयोग’ आधारित ग्राम की समृद्धि-व्यवस्था (भाग 3/3)
‘ऋण का भाव’ पैदा करने वाली व्यवस्था: समाज में हर तरह के काम के लिए ‘सहयोग की अर्थव्यवस्था’ ही व्याप्त रही है, जिसके माध्यम से समाज में एक तरह के ‘मानस निर्माण’ जैसे बहुत से उद्देश्य स्वतः ही सधते रहे हैं। पूरी व्यवस्था में एक-दूसरे के प्रति बनाई गई ‘परस्पर निर्भरता’ और ‘आपसी सहयोग’ का…
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‘सहयोग’ आधारित ग्राम की समृद्धि-व्यवस्था (भाग 2/3)
(गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी के साथ की बातचीत के आधार पर) ‘धन के हस्तांतरण’ के विभिन्न प्रकारों वाली व्यवस्था: जिस तरह हमारे समाज में ‘धन’ के ढेर सारे स्वरूप थे, उसी तरह हमारे समाज में धन के एक हाथ से दूसरे हाथ तक हस्तांतरण के भी बहुत सारे तरीके हुआ करते थे। आजकल तो…
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‘सहयोग’ आधारित ग्राम की समृद्धि-व्यवस्था (भाग 1/3)
(गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी के साथ की बातचीत के आधार पर) सामाजिक अर्थशास्त्र के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में हमारे समाज में वर्तमान आधुनिक समाज की तरह ‘धन की अर्थव्यवस्था’ न होकर ‘सहयोग की अर्थव्यवस्था’ रही है। जिस तरह आजकल समाज में ‘पैसों’ के बिना एक पत्ता तक नहीं हिल सकता, उसी तरह…
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भारत और भारतीयता के व्याख्याता
बुद्ध पूर्णिमा मेरे लिए मिश्र स्मृतियाँ लेकर आती हैं, गौतम बुद्ध के उदय को सूचित करती है, और साथ ही एक और विभूति के विलय को भी। वह विभूति थे श्री रवीन्द्र शर्मा जी, जिन्हें प्यार से लोग गुरुजी कहकर पुकारते थे। आज गुरुजी की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी बातों को, कथाओं को,…
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