Category: Guruji Ravindra Sharma
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (३/५)
गतांक से चालू भाग २ यहाँ पढ़ें। छोटी टेक्नोलॉजी में ‘एक’ चीज बनाने का सामर्थ्य है, जो कि बहुत बड़ी ताकत है, क्योंकि ‘एक’ चीज बनाना बहुत कठिन है। बड़े-बड़े कारखानों में ये ‘एक’ चीज बनाना संभव नहीं है, मगर छोटी टेक्नोलॉजी में कारीगर बड़ी आसानी से यह काम कर डालते हैं। वे एक चीज…
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (२ / ५)
गतांक से चालू भाग १ यहाँ पढ़ें। छोटी टेक्नोलॉजी इतनी सरल होती है, कि उसको कहीं भी ले जाया जा सकता है, जबकि बड़ी टेक्नोलॉजी एक जगह स्थिर होकर रहती है। भारतीय सभ्यता में जो टेक्नोलॉजी है, उसको चाहते, तो बहुत बड़ी भी बनाया जा सकता था, मगर टेक्नोलॉजी को इतना सरल, इतना छोटा करके…
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (१ / ५)
गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी के अनुसार भारतीयता और आधुनिकता के अंतर को समझने का एक आसान सा तरीका भारतीय टेक्नोलॉजी और आधुनिक टेक्नोलॉजी के अंतर को समझ लेना भी है। बहुत सारी अन्य चीजों को समझने के साथ-साथ, गुरुजी आधुनिकता को समझने के लिए आज की टेक्नोलॉजी और उसके परिणामों को बहुत ही विस्तार…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (५/५)
समाज में आधुनिक व्यवस्था का एक और आयाम आज खुल रहे नए तरह के संस्थानों के रूप में सामने आ रहा है। गौर से देखेंगे, तो पाएंगे, कि भारतीय समाज में वृद्धाश्रम, अनाथालय, गोशालाओं जैसे संस्थानों का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। इस तरह के पुराने से पुराने संस्थान भी 100 – 150 साल से…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (४/५)
आधुनिकता का एक और बहुत बड़ा दुष्परिणाम समाज में ‘नौकरशाही’ का फैलाव है। आज भारत में शायद ही ऐसे घर होंगे, जिनका एक भी सदस्य किसी न किसी जगह पर नौकरी न करता हो। कहाँ जहाँ भारत में ‘उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और निकृष्ट चाकरी’ का सिद्धांत था, आधुनिक व्यवस्था में इसका एकदम उल्टा है।…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (३/५)
गुरुजी के अनुसार आधुनिक व्यवस्था भारत में सभी को संचार जाति वाला बनाती जा रही है। आज कोई भी व्यक्ति अपने गांव में रहकर जी नहीं पा रहा है। हरेक को जीने के लिए बाहर निकलना पड़ रहा है। इसका अर्थ है, कि आज सारा का सारा समाज खानाबदोश होता जा रहा है, जिसको सिर्फ…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (२/५)
‘विविधता’ हमारी व्यवस्था में स्वाभाविक रूप से पोषित होती है। तथाकथित भौगौलिक परिस्थितियों में विविधता के अलावा भी भारतीय समाज में व्यवस्था-जनित अन्य ढेरों चीजें थीं, जिनके कारण हमारा समाज विविधतापूर्वक जीता था। आजकी आधुनिक व्यवस्था, भौगौलिक परिस्थितियों में पहले की तरह की ही विविधता होने के बावजूद भी, सब कुछ एक जैसा, एक समान…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (१/५)
आधुनिकता या आधुनिक व्यवस्था, ये दोनों ही गुरूजी के अध्ययन विषय नहीं हैं। उनके अध्ययन का मुख्य विषय तो भारतीयता और भारतीय समाज व्यवस्था ही है। पंरतु, गुरूजी की बातचीत में आधुनिकता के बारे में जितना कुछ पता चलता है, उतना अन्य कहीं मिलता, कम से कम मेरे लिए तो मुश्किल ही जान पड़ता है।…
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Indian Village & The Jajmani System: Dr. Harsh Satya & Pranav Vasistha GV
Very little has been written about the intra village relations among people and the backbone of Indian village systems. Many of us do know that the paradigm of the modern day transaction centric business was (and to quite an extent is) not much practised within the Indian villages, what we often do not know is…
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संस्कारों द्वारा पोषित हमारी अपनी सामाजिक (अर्थ)व्यवस्था (भाग ३/३)
भाग २ पढ़ने के लिए यहाँ click करें। समाज में सामाजिकता को पोषित करना: 49 संस्कारों वाली व्यवस्था को समाज में लागू करने का दूसरा सबसे बड़ा उद्देश्य समाज में सामाजिकता को पोषित करना रहा है। हमारे 49 संस्कार, संस्कार मात्र न होकर मानव जीवन के महत्त्वपूर्ण पड़ाव रहे हैं। गर्भाधान, वस्त्र धारण, अन्न प्राशन,…
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