Category: Hindi Articles
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शिक्षा, अर्थ व्यवस्था और स्वतन्त्रता (२/२)
आर्थिक क्षेत्र के हर मोड़ के साथ शिक्षा का मोड़ साथ साथ चलता है और इसका सबसे घातक असर हमारे मूल्यों के ह्रास में दिखाई देता है; हमारे नैतिक पतन में दिखाई पड़ता है और किसी भी तरह से पैसा कमाने वाली प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन मिलने में दिखाई पड़ता है। यदि सट्टा और जुआ खेलना…
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शिक्षा, अर्थ व्यवस्था और स्वतन्त्रता (१/२)
मैं समझता हूँ कि शिक्षा और अर्थ व्यवस्था के संबंध को पूरी तरह से समझना बहुत ज़रूरी है न कि सिर्फ़शिक्षक या शिक्षाविदों के लिए, लेकिन हम सबके लिए भी। ‘अर्थ व्यवस्था’ शब्दों से मैं शिक्षा के नाम पर होरही व्यापार या बिसनेस की बात नहीं कर रहा; मगर मैं उम्मीद करता हूँ, कि जब…
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भारतीय समाज व्यवस्था और उसका आर्थिक पक्ष, राष्ट्रीय संगोष्ठी – एक रिपोर्ट
मित्रों, आज जब भी भारतीय व्यवस्थाओं की बात होती है, तो अक्सर पदार्थों (ऑर्गेनिक भोजन, मिट्टी के मकान – बर्तन इत्यादि) तक बात सीमित रह जाती है और ये सब भी इतने महंगे में बिकता है, कि साधारण व्यक्ति के बस से तो बाहर ही हो चला है। लेन देन का एक मात्र माध्यम व्यापार…
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देवालय निर्माण
जीवन में आपके समक्ष कौन कौन सी परिस्थिति उत्पन्न होगी, ये आपके अधिकार क्षेत्र से परे है, किन्तु उन परिस्थितियों को आप कौन से दृष्टिकोण से देखेंगे, ये तो आप ही निश्चित कर सकते हैं। पढ़िए *देवालय का निर्माण* अयोध्या स्थित *आचार्य श्री मिथिलेशनन्दिनी शरण जी* की कलम से।
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प्रश्न और उत्तर
पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका से आने वाले मेरे अनेक मित्रों से मैं वहाँ की आदिवासी वन्य जातियों के विषय में कुतूहलपूर्ण प्रश्न पूछा करता था। उनके रहन-सहन, आदतें, चलन- व्यवहार, विचारसरणी, भावनाएँ आदि में मुझे गहरी दिलचस्पी थी और मैं अनेक प्रकार के प्रश्न पूछता, परंतु किसी भी मित्र ने स्वानुभव की या सुनी हुई…
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गीता प्रेस को गांधी सम्मान : सैद्धांतिक दृष्टि
गीता प्रेस को अंतरराष्ट्रीय गांधी पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर सहमति और असहमति को किस परिप्रेक्ष्य में देखा जाए यह महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। कहने वालों ने तो इसे गोडसे और सावरकर को सम्मानित करने जैसा बता दिया है, जबकि अन्य आपत्तियों में गांधीजी के कुछ कार्यों जैसे स्त्री, छुआ छूत से उनके विपरीत मत…
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अच्छाई के लिए प्रोत्साहन – जय प्रकाश नारायण
अतीत काल में मनुष्य किसी उच्चतर नैतिक सत्ता से, जिसमें उसका विश्वास था, प्रेरित हो कर अच्छा बनने का प्रयन्त करता था; और अच्छाई के अर्थ होते थे : सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, दयालुता, चारित्र्य, नि:स्वार्थता आदि।
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विद्रोह – एक प्रतिक्रियात्मक प्रक्रिया
अगर किसी जाति का पतन करवाना हो, तो उस पर बहुत हीन क़िस्म के प्रतिबंध लगा दो। वह उन हीन प्रतिबंधों के विरुद्ध हीन विद्रोह करने में अपना जीवन बिता देगी! याद रहे- जिस तल पर प्रतिबंध होता है, विद्रोह भी उसी तल पर होता है। विद्रोही ऊपर-ऊपर से दिखता तो है बड़ा स्वतंत्रचेता, किन्तु…
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आनयन शिविर
हमें आनयन शिविर के विषय में आपको सूचित करते हुए आनंद होता है। आनयन शिविर में मिट्टी के प्लास्टर, वन भ्रमण एवं वन कथा, पुरातत्त्वीय मंदिरों के दर्शन व भ्रमण, लकड़ी की नक्काशी, मिट्टी / लकड़ी से मूर्तिनिर्माण, आयुर्वेदिक जीवनशैली इत्यादि विषयों पर काम होगा। शिविर का आयोजन १८ फरवरी से २६ फरवरी, २०२३ के…
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भाषा का प्रश्न, भारत में अंग्रेजी : तमस की भाषा भाग (५/५)
भाग ४ पढ़ने के लिए यहाँ click करें। ‘प्रोग्रेस’ और ‘प्रोग्रेसिव’- प्रगतिवाद और प्रगतिवादी: सेकुलरिजम के अन्य साजो सरंजाम के साथ प्रोग्रेस के विचार और शास्त्र की सवारी बैठा कर अंग्रेजी की गाड़ी भारत में लायी गयी है। इसीलिए प्रोग्रेस के विचार और उसके परिणाम को समझना जरूरी है। जबसे ‘प्रोग्रेस’ का मन्त्र आया है, हमारी भाषाओं…
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