Month: April 2021
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (३/५)
गुरुजी के अनुसार आधुनिक व्यवस्था भारत में सभी को संचार जाति वाला बनाती जा रही है। आज कोई भी व्यक्ति अपने गांव में रहकर जी नहीं पा रहा है। हरेक को जीने के लिए बाहर निकलना पड़ रहा है। इसका अर्थ है, कि आज सारा का सारा समाज खानाबदोश होता जा रहा है, जिसको सिर्फ…
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Ek Bharat Aisa Bhi – Episode 2 – Welfare State जैसी व्यवस्था का भारतीय स्वरूप
प्रस्तुत है एक भारत ऐसा भी का द्वितीय अंक, एक ऐसी कहानी, जो आपको सोचने पर विवश कर देगी। कहानी यहाँ लिखकर आपका मजा किरकिरा नहीं करेंगे, लेकिन कहानी सुनने के बाद नीचे जो लिखा है, उसे जरूर पढिए। आजकल सरकारों के द्वारा कितनी ही योजनाएँ बनाई जाती हैं, जिससे गरीबों की सहायता हो सके,…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (२/५)
‘विविधता’ हमारी व्यवस्था में स्वाभाविक रूप से पोषित होती है। तथाकथित भौगौलिक परिस्थितियों में विविधता के अलावा भी भारतीय समाज में व्यवस्था-जनित अन्य ढेरों चीजें थीं, जिनके कारण हमारा समाज विविधतापूर्वक जीता था। आजकी आधुनिक व्यवस्था, भौगौलिक परिस्थितियों में पहले की तरह की ही विविधता होने के बावजूद भी, सब कुछ एक जैसा, एक समान…
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Ek Bharat Aisa Bhi: Episode 1 – Intro to the series
आज भी भारत के गाँवों में खुद रहे हजारों लाखों कुओं के लिए सेटेलाईट की कोई जरूरत नहीं पड़ती है, सिर्फ हाथ में नारियल लेकर पानी दिखाने वाले लोग गाँव गाँव में हैं, बिना मशीन के या बिना बैल की घाने के तेल निकालने वाले लोग भी हैं और ऐसे ही अनेक अजूबे आज भी…
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Pre-Launch Video of “Ek Bharat Aisa Bhi”
Dr Harsh Satya holds a PhD on the topic titled ‘Towards Revitalizing Diversity: A Study of the Traditional Jajmāni System in India’ from IIIT Hyderabad. Jajmāni System is an altogether different paradigm on socio economic fronts. While conducting his research, he happened to meet many illuminary personalities and societies in the hinterlands of rural and…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (१/५)
आधुनिकता या आधुनिक व्यवस्था, ये दोनों ही गुरूजी के अध्ययन विषय नहीं हैं। उनके अध्ययन का मुख्य विषय तो भारतीयता और भारतीय समाज व्यवस्था ही है। पंरतु, गुरूजी की बातचीत में आधुनिकता के बारे में जितना कुछ पता चलता है, उतना अन्य कहीं मिलता, कम से कम मेरे लिए तो मुश्किल ही जान पड़ता है।…
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अर्थ से शब्द की ओर (३/३)
भाग – २ पढ़ने के लिए यहाँ click करें। स्थानीय परिवेश से शिक्षण के हमारे प्रयोग से हमने पाया, कि बच्चे पढ़ा – लिखा होने और शिक्षित होने के भेद को समझ पाये। उनके बुजुर्ग – जिनको वे अनपढ़ होने की वजह से, एक तरफ उन्हें तिरस्कार की नज़र से देखते थे और दूसरी तरफ…