Author: Ashish Gupta
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (२ / ५)
गतांक से चालू भाग १ यहाँ पढ़ें। छोटी टेक्नोलॉजी इतनी सरल होती है, कि उसको कहीं भी ले जाया जा सकता है, जबकि बड़ी टेक्नोलॉजी एक जगह स्थिर होकर रहती है। भारतीय सभ्यता में जो टेक्नोलॉजी है, उसको चाहते, तो बहुत बड़ी भी बनाया जा सकता था, मगर टेक्नोलॉजी को इतना सरल, इतना छोटा करके…
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (१ / ५)
गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी के अनुसार भारतीयता और आधुनिकता के अंतर को समझने का एक आसान सा तरीका भारतीय टेक्नोलॉजी और आधुनिक टेक्नोलॉजी के अंतर को समझ लेना भी है। बहुत सारी अन्य चीजों को समझने के साथ-साथ, गुरुजी आधुनिकता को समझने के लिए आज की टेक्नोलॉजी और उसके परिणामों को बहुत ही विस्तार…
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श्रद्धांजलि – श्री. सुनील गुणवंतराव देशपाण्डे (उर्फ बांसपाण्डे)
सुनील गुणवंत राव देशपाण्डे(24 मार्च, 1965 – 19 मई, 2021) अत्यंत दुख का विषय है कि देशभर में बाँस और बाँस कारीगरी के पर्याय बन चुके श्री सुनील देशपाण्डे जी हमारे बीच नहीं रहे। गत 19 मई की रात लगभग 11 बजे नागपूर के किंगसवे अस्पताल में कोरोना के इलाज के दौरान उनका निधन हो…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (५/५)
समाज में आधुनिक व्यवस्था का एक और आयाम आज खुल रहे नए तरह के संस्थानों के रूप में सामने आ रहा है। गौर से देखेंगे, तो पाएंगे, कि भारतीय समाज में वृद्धाश्रम, अनाथालय, गोशालाओं जैसे संस्थानों का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। इस तरह के पुराने से पुराने संस्थान भी 100 – 150 साल से…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (४/५)
आधुनिकता का एक और बहुत बड़ा दुष्परिणाम समाज में ‘नौकरशाही’ का फैलाव है। आज भारत में शायद ही ऐसे घर होंगे, जिनका एक भी सदस्य किसी न किसी जगह पर नौकरी न करता हो। कहाँ जहाँ भारत में ‘उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और निकृष्ट चाकरी’ का सिद्धांत था, आधुनिक व्यवस्था में इसका एकदम उल्टा है।…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (३/५)
गुरुजी के अनुसार आधुनिक व्यवस्था भारत में सभी को संचार जाति वाला बनाती जा रही है। आज कोई भी व्यक्ति अपने गांव में रहकर जी नहीं पा रहा है। हरेक को जीने के लिए बाहर निकलना पड़ रहा है। इसका अर्थ है, कि आज सारा का सारा समाज खानाबदोश होता जा रहा है, जिसको सिर्फ…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (१/५)
आधुनिकता या आधुनिक व्यवस्था, ये दोनों ही गुरूजी के अध्ययन विषय नहीं हैं। उनके अध्ययन का मुख्य विषय तो भारतीयता और भारतीय समाज व्यवस्था ही है। पंरतु, गुरूजी की बातचीत में आधुनिकता के बारे में जितना कुछ पता चलता है, उतना अन्य कहीं मिलता, कम से कम मेरे लिए तो मुश्किल ही जान पड़ता है।…
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संस्कारों द्वारा पोषित हमारी अपनी सामाजिक (अर्थ)व्यवस्था (भाग ३/३)
भाग २ पढ़ने के लिए यहाँ click करें। समाज में सामाजिकता को पोषित करना: 49 संस्कारों वाली व्यवस्था को समाज में लागू करने का दूसरा सबसे बड़ा उद्देश्य समाज में सामाजिकता को पोषित करना रहा है। हमारे 49 संस्कार, संस्कार मात्र न होकर मानव जीवन के महत्त्वपूर्ण पड़ाव रहे हैं। गर्भाधान, वस्त्र धारण, अन्न प्राशन,…
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संस्कारों द्वारा पोषित हमारी अपनी सामाजिक (अर्थ) व्यवस्था (भाग २/३)
भाग १ पढ़ने के लिए यहाँ click करें। कारीगरों को इसी तरह का एक और पक्का मार्केट देने के उद्देश्य से समाज में 49 संस्कारों वाली एक अनूठी अर्थव्यवस्था लागू की गई थी। इन सभी 49 संस्कारों में हर कारीगर की, एक से लेकर पाँच (बिना जरूरत की) चीजें खरीदने की व्यवस्था की गई थी…
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संस्कारों द्वारा पोषित हमारी अपनी सामाजिक (अर्थ) व्यवस्था (भाग १/३)
हमारी लगभग सभी परम्पराओं के पीछे एक धार्मिक दृष्टि होने के साथ-साथ कुछ अन्य मूल कारण रहे हैं, जिन्हें समाज ने धार्मिकता के माध्यम से समाज में लागू किया है। इन महत्त्वपूर्ण कारणों में अर्थव्यवस्था का सुचारूपन, समाज में सामाजिकता का उत्तरोत्तर विकास, उस परम्परा का शारीरिक / आयुर्वेदीय महत्त्व, प्रकृति के साथ सामन्जस्य एवं…
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