Category: Hindi Articles
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (४/५)
गतांक से चालू। भाग ३ पढ़ने के लिए यहाँ click करें। चूँकि छोटी टेक्नोलॉजी में उत्पादन शून्य पर होता है, इसीलिए उसमें आज के समय के चार सबसे बड़े खर्चे – packing, transportation, advertising और tax – बिल्कुल भी नहीं होते हैं। छोटे कारखानों में, कारीगरों के अपने – अपने गाँव और अपने – अपने…
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (३/५)
गतांक से चालू भाग २ यहाँ पढ़ें। छोटी टेक्नोलॉजी में ‘एक’ चीज बनाने का सामर्थ्य है, जो कि बहुत बड़ी ताकत है, क्योंकि ‘एक’ चीज बनाना बहुत कठिन है। बड़े-बड़े कारखानों में ये ‘एक’ चीज बनाना संभव नहीं है, मगर छोटी टेक्नोलॉजी में कारीगर बड़ी आसानी से यह काम कर डालते हैं। वे एक चीज…
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (२ / ५)
गतांक से चालू भाग १ यहाँ पढ़ें। छोटी टेक्नोलॉजी इतनी सरल होती है, कि उसको कहीं भी ले जाया जा सकता है, जबकि बड़ी टेक्नोलॉजी एक जगह स्थिर होकर रहती है। भारतीय सभ्यता में जो टेक्नोलॉजी है, उसको चाहते, तो बहुत बड़ी भी बनाया जा सकता था, मगर टेक्नोलॉजी को इतना सरल, इतना छोटा करके…
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आधुनिकता और टेक्नोलॉजी (१ / ५)
गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी के अनुसार भारतीयता और आधुनिकता के अंतर को समझने का एक आसान सा तरीका भारतीय टेक्नोलॉजी और आधुनिक टेक्नोलॉजी के अंतर को समझ लेना भी है। बहुत सारी अन्य चीजों को समझने के साथ-साथ, गुरुजी आधुनिकता को समझने के लिए आज की टेक्नोलॉजी और उसके परिणामों को बहुत ही विस्तार…
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श्रद्धांजलि – श्री. सुनील गुणवंतराव देशपाण्डे (उर्फ बांसपाण्डे)
सुनील गुणवंत राव देशपाण्डे(24 मार्च, 1965 – 19 मई, 2021) अत्यंत दुख का विषय है कि देशभर में बाँस और बाँस कारीगरी के पर्याय बन चुके श्री सुनील देशपाण्डे जी हमारे बीच नहीं रहे। गत 19 मई की रात लगभग 11 बजे नागपूर के किंगसवे अस्पताल में कोरोना के इलाज के दौरान उनका निधन हो…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (५/५)
समाज में आधुनिक व्यवस्था का एक और आयाम आज खुल रहे नए तरह के संस्थानों के रूप में सामने आ रहा है। गौर से देखेंगे, तो पाएंगे, कि भारतीय समाज में वृद्धाश्रम, अनाथालय, गोशालाओं जैसे संस्थानों का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। इस तरह के पुराने से पुराने संस्थान भी 100 – 150 साल से…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (४/५)
आधुनिकता का एक और बहुत बड़ा दुष्परिणाम समाज में ‘नौकरशाही’ का फैलाव है। आज भारत में शायद ही ऐसे घर होंगे, जिनका एक भी सदस्य किसी न किसी जगह पर नौकरी न करता हो। कहाँ जहाँ भारत में ‘उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और निकृष्ट चाकरी’ का सिद्धांत था, आधुनिक व्यवस्था में इसका एकदम उल्टा है।…
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आधुनिकता – गुरुजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (३/५)
गुरुजी के अनुसार आधुनिक व्यवस्था भारत में सभी को संचार जाति वाला बनाती जा रही है। आज कोई भी व्यक्ति अपने गांव में रहकर जी नहीं पा रहा है। हरेक को जीने के लिए बाहर निकलना पड़ रहा है। इसका अर्थ है, कि आज सारा का सारा समाज खानाबदोश होता जा रहा है, जिसको सिर्फ…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (२/५)
‘विविधता’ हमारी व्यवस्था में स्वाभाविक रूप से पोषित होती है। तथाकथित भौगौलिक परिस्थितियों में विविधता के अलावा भी भारतीय समाज में व्यवस्था-जनित अन्य ढेरों चीजें थीं, जिनके कारण हमारा समाज विविधतापूर्वक जीता था। आजकी आधुनिक व्यवस्था, भौगौलिक परिस्थितियों में पहले की तरह की ही विविधता होने के बावजूद भी, सब कुछ एक जैसा, एक समान…
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आधुनिकता – गुरूजी श्री रवीन्द्र शर्मा जी की दृष्टि से (१/५)
आधुनिकता या आधुनिक व्यवस्था, ये दोनों ही गुरूजी के अध्ययन विषय नहीं हैं। उनके अध्ययन का मुख्य विषय तो भारतीयता और भारतीय समाज व्यवस्था ही है। पंरतु, गुरूजी की बातचीत में आधुनिकता के बारे में जितना कुछ पता चलता है, उतना अन्य कहीं मिलता, कम से कम मेरे लिए तो मुश्किल ही जान पड़ता है।…
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