Author: Amandeep Vasishth
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ५
गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ४
गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ३
अब हमारे सामने प्रश्न ये है, कि भारतीय चित्त की इस मूल भूमि को किसने सबसे सटीक पहचाना! स्वाभाविक उत्तर होगा, कि गांधीजी ने। इसीलिए वे विदेशी कपड़ों की होली जलवाकर जब विदेश गए, तो उन मज़दूरों से मिले जो उन कपड़ों को बनाते थे। गांधीजी के लिए प्रक्रिया केंद्र में थी – व्यक्तिगत प्रतिशोध…
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग २
भारत के स्वर्णमयी इतिहास की बातें व कुछ कुछ किस्से तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन ये इक्का दुक्का किस्से कोई सम्पूर्ण दृष्य बनाने में सक्षम नहीं हैं। इस खाई को पाटा है, श्री धर्मपाल जी ने, जिन्होंने भारत में अंग्रेजी राज के समय के दस्तावेजों का अध्ययन करके आत्मविश्वास से भरपूर…
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग १
धर्मपाल जी का समग्र लेखन छपने के बाद उसमें से प्रत्येक अध्येता अपनी रुचियों के अनुसार गुज़रता है। मैं भी कुछ हिस्सों से गुज़रा। स्वभावतः भारत की वे छवियाँ टूट गयीं, जो बरसों से मन में आधुनिक शिक्षा के कारण बनी हुई थीं, लेकिन इन छवियों के टूटने के कारण विशिष्ट थे।
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग ३-४/४)
धर्मपाल की भाषा आरोप मढ़ने वाली भाषा नहीं है। वे जब भी ब्रिटिश शासन का उल्लेख करते हैं तो न के बराबर व्यक्तिगत होते हैं। उनकी भाषा एक सावधानीपूर्ण प्रयोग से युक्त है। यही बात उन्हें दूसरी धाराओं से जुदा करती है। इसके मूल उनके गांधीवादी चिंतन में हैं। गांधीजी सम्भवतः सबसे ताकतवर ढंग से…
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग २/४)
धर्मपाल के ब्रिटिशपूर्व भारतसंबंधी कार्य से गुज़रना एक विचित्र संसार में प्रवेश करने जैसा लगता है। इसका एक कारण तो यह कि पुराने भारत संबंधी अधिकतर व्याख्याएँ सांख्यिकीय आंकड़ों से विहीन मात्र भावुक घोषणाओं पर खड़ी रहती हैं या फ़िर पुराने भारत को सामाजिक अंतर्विरोधों के आधार पर कोसने में उत्सुक। ये कोई छिपी हुई…
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग १/४)
भूमिका: भारतीय शिक्षा भारतीय समाज से विच्छिन्न परिघटना नहीं है। शिक्षा समाज के लिए और समाज के भीतर ही होती है। अतः भारतीय शिक्षा के स्वरूप को भारतीय समाज के स्वरूप से तोड़कर देखना जानना संभव नहीं है। भारतीय शिक्षा पद्धति के सिलसिले में आधुनिक चिंतन धाराओं द्वारा की जाने वाली आलोचना दरअसल उस वक़्त…
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