• धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ४

    धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ४

    गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…

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  • अपाहिज अंतर्निष्ठा

    बहुत वर्ष पहले की बात है। अश्विन महीना था, नवरात्रि के दिन अष्टमी के रोज सुबह मैं घूमने निकला था। वर्षा के भीगे हुए दिनों के बाद शरद की भोर बड़ी सुहावनी लग रही थी। वातावरण में ताजगी थी। चौड़ी सड़क के दोनों ओर के वृक्ष मेरे परिचित थे। उनमें भी गोल चक्कर के पास…

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  • स्वाति जल

    अश्विनी, भरणी आदि 27 नक्षत्रों में से सूर्य जिस नक्षत्र में होता है, उसे “सौर नक्षत्र” माना जाता है। सूर्य एक नक्षत्र में लगभग ११ से १३ दिन रहता है। एक साल में सूर्य सारे २७ नक्षत्रों से पार होता है। व्यवहार में जिन मृगादि नौ नक्षत्रों की गणना प्रचलित है, वो बारिश के सौर…

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  • धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ३

    धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ३

    अब हमारे सामने प्रश्न ये है, कि भारतीय चित्त की इस मूल भूमि को किसने सबसे सटीक पहचाना! स्वाभाविक उत्तर होगा, कि गांधीजी ने। इसीलिए वे विदेशी कपड़ों की होली जलवाकर जब विदेश गए, तो उन मज़दूरों से मिले जो उन कपड़ों को बनाते थे। गांधीजी के लिए प्रक्रिया केंद्र में थी – व्यक्तिगत प्रतिशोध…

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  • धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग २

    धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग २

    भारत के स्वर्णमयी इतिहास की बातें व कुछ कुछ किस्से तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन ये इक्का दुक्का किस्से कोई सम्पूर्ण दृष्य बनाने में सक्षम नहीं हैं। इस खाई को पाटा है, श्री धर्मपाल जी ने, जिन्होंने भारत में अंग्रेजी राज के समय के दस्तावेजों का अध्ययन करके आत्मविश्वास से भरपूर…

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  • धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग १

    धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग १

    धर्मपाल जी का समग्र लेखन छपने के बाद उसमें से प्रत्येक अध्येता अपनी रुचियों के अनुसार गुज़रता है। मैं भी कुछ हिस्सों से गुज़रा। स्वभावतः भारत की वे छवियाँ टूट गयीं, जो बरसों से मन में आधुनिक शिक्षा के कारण बनी हुई थीं, लेकिन इन छवियों के टूटने के कारण विशिष्ट थे।

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  • सौभाग्य

    हमारे घर में नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा होती थी। हमारे पुरोहित छगन महाराज सुबह से ही आकर चंदन घिसने लगते। घिसा हुआ चंदन एक कटोरी में भरते। फिर एक दातुन को कुचल कर उसकी कूची बनाते। एक आले को गोबर से लीपा जाता। कूंची से उस लिये हुए आले में नागदेवता के चित्र…

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  • जीवन राजनीति ही है?

    मानव जीवन तीन प्रकार के सम्बन्धों में विस्तृत है। या यह भी कह सकते हैं, कि बंधा हुआ है: मनुष्य का अन्य मनुष्यों से सम्बन्ध; मनुष्य का प्राकृतिक विश्व के साथ सम्बन्ध और मनुष्य का परम तत्त्व – ईश्वर के साथ सम्बन्ध। तीन रिश्ते सम्पूर्ण रूप से एक दूसरे से स्वतंत्र नहीं हैं, क्योंकि तीसरा…

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  • Unearthing Menstrual Wisdom – Why menstruating women don’t go to temples and follow many such practices : Part 5/5

    Click here to read part 4. Personal experiences While I began exploring the origin behind menstrual practices and the understanding of it as per Ayurveda, I also began experimenting with my own menstrual cycle. I learnt about Mudras from the book “Mudras & health perspectives” written by Suman K. Chiplunkar, and got interested in the…

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  • Unearthing Menstrual Wisdom – Why menstruating women don’t go to temples and follow many such practices : Part 4/5

    Click here to read part 3. 7. Taking time off during menstruation In Dakshina Kannada (Karnataka state), we came across a woman who explained to us the relevance of the Tulu festival called Keddasa. This festival is celebrated in the month of January or February for 3 days. This is a celebration of the beginning…

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