Tag: गुरुजी
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ५
गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…
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धर्मपाल – रवीन्द्र शर्मा गुरुजी – आधुनिकता: भाग ४
गुरुजी (रवींद्र शर्मा जी) ने भारत का जो दर्शन किया – कराया है, वह वाचिक परंपरा के माध्यम से ही हुआ है, जिसके महत्त्व को लेकर धीरे धीरे स्वीकार्यता बढ़ रही है। गुरुजी अपनी प्रलय के पहले बीज संरक्षण की जो प्रसिद्ध कथा सुनाते हैं, कुछ उसीसे जुड़ा हुआ परंपराओं के अभिलेखीकरण का कार्य विगत…
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धरमपाल जी की चिंता: सहजता और आत्म विश्वास कैसे लौटे
यह धरमपाल जी का शताब्दी वर्ष है। जगह जगह छोटे बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। अभी 19 तारीख को धर्मपाल जी के जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री ने शांति निकेतन, बंगाल में दिये अपने एक भाषण में शिवाजी जयंती (जो उसी दिन पड़ती है) के साथ धर्मपाल जी के शोध का कुछ विस्तार से ज़िक्र भी किया।…
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संस्कारों द्वारा पोषित हमारी अपनी सामाजिक (अर्थ) व्यवस्था (भाग १/३)
हमारी लगभग सभी परम्पराओं के पीछे एक धार्मिक दृष्टि होने के साथ-साथ कुछ अन्य मूल कारण रहे हैं, जिन्हें समाज ने धार्मिकता के माध्यम से समाज में लागू किया है। इन महत्त्वपूर्ण कारणों में अर्थव्यवस्था का सुचारूपन, समाज में सामाजिकता का उत्तरोत्तर विकास, उस परम्परा का शारीरिक / आयुर्वेदीय महत्त्व, प्रकृति के साथ सामन्जस्य एवं…
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग ३-४/४)
धर्मपाल की भाषा आरोप मढ़ने वाली भाषा नहीं है। वे जब भी ब्रिटिश शासन का उल्लेख करते हैं तो न के बराबर व्यक्तिगत होते हैं। उनकी भाषा एक सावधानीपूर्ण प्रयोग से युक्त है। यही बात उन्हें दूसरी धाराओं से जुदा करती है। इसके मूल उनके गांधीवादी चिंतन में हैं। गांधीजी सम्भवतः सबसे ताकतवर ढंग से…
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग २/४)
धर्मपाल के ब्रिटिशपूर्व भारतसंबंधी कार्य से गुज़रना एक विचित्र संसार में प्रवेश करने जैसा लगता है। इसका एक कारण तो यह कि पुराने भारत संबंधी अधिकतर व्याख्याएँ सांख्यिकीय आंकड़ों से विहीन मात्र भावुक घोषणाओं पर खड़ी रहती हैं या फ़िर पुराने भारत को सामाजिक अंतर्विरोधों के आधार पर कोसने में उत्सुक। ये कोई छिपी हुई…
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The Beautiful Tree – शिक्षा के औपनिवेशिक आख्यान को समझाती पुस्तक (भाग १/४)
भूमिका: भारतीय शिक्षा भारतीय समाज से विच्छिन्न परिघटना नहीं है। शिक्षा समाज के लिए और समाज के भीतर ही होती है। अतः भारतीय शिक्षा के स्वरूप को भारतीय समाज के स्वरूप से तोड़कर देखना जानना संभव नहीं है। भारतीय शिक्षा पद्धति के सिलसिले में आधुनिक चिंतन धाराओं द्वारा की जाने वाली आलोचना दरअसल उस वक़्त…
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भारत और भारतीयता के व्याख्याता
बुद्ध पूर्णिमा मेरे लिए मिश्र स्मृतियाँ लेकर आती हैं, गौतम बुद्ध के उदय को सूचित करती है, और साथ ही एक और विभूति के विलय को भी। वह विभूति थे श्री रवीन्द्र शर्मा जी, जिन्हें प्यार से लोग गुरुजी कहकर पुकारते थे। आज गुरुजी की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी बातों को, कथाओं को,…
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